मैं खोया तो नही ?

मैं अक्सर खुद से सवाल करता हु की मैं खोया तो नही
चोट लगने के बाद दिल से पूछता हु तू कही रोया तो नही
उमर चौबीस है लेकिन ज़िंदगी को बोहोत करीब से देख लिया है
काफी आगे आ चुका हु गिरते चलते
सायद और भी दूर जाना है 
लेकिन रास्ते कुछ अजीब से है
इन्ही रास्तों को देखकर खुद से सवाल करता हु की मैं खोया तो नही।

है कुछ सपने अधूरे से
पूरे करने की इच्छा और क्षमता भी है
लेकिन कुछ जिम्मेदारियों से दबा हुआ हु
इसे किस्मत का दोष कहूं या खुदा की परीक्षा
एक तरफ मेरी पसंदीदा चीज है और दूसरी तरफ मेरे परिवार की खुशियां
इन्ही के बीच रहकर खुद से सवाल करता हु की मैं खोया तो नही।

-आपसे फिर मिलूंगा मेरे अगले ब्लॉग में।





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