कागज़ और कलम मित्र मेरे


इन्हे जानता तो स्कूल के वक्त से था
लेकिन ये मेरे मित्र बने २०१५ में
जब मुझे शौक चढ़ा हिप हॉप संगीत का
तब इनसे मुलाकात हुई मेरी
अंदर बोहोत कुछ था कहने को
तब कलम ने मुझसे कहा "तू बाहर आने दे तेरे जस्बातो को, मैं शब्दो में उन्हें उतार दूंगा"
फिर कागज़ बोला "हा हा जो भी हो सब बयान करना जगह काफी है मुझमें"

ये सुनकर काफी खुश हुआ मैं
क्युकी इतने सालो से कोई सुनने वाला नहीं था मेरा
और ये दोनो मुझे प्रोत्साहन कर रहे थे अपने दिल की बात बताने को
फिर मैंने भी निकाल दिए वो सारे जस्बात जो अंदर दबे थे इतने समय से
मन हल्का हुआ, खुशी के आसू चलके और शुक्रिया किया खुदा का जिसने मिलाया मुझे ऐसे मित्रो से।

-आपसे फिर मिलूंगा मेरे अगले ब्लॉग में।

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