कभी सोचा नही था...

कभी सोचा नही था इतना आगे आ पाऊंगा
अब आ गया हु तो पीछे तो नही जाऊंगा
जिंदगी सफर सी लगी, मैं मुसाफिर बन गया
अब मुसाफिर का ठिकाना तो है नही
कभी यहां तो कभी वहां
लेकिन कभी सोचा नही था इतना आगे आ पाऊंगा।

कभी पापा कमाते थे, आज मैं कमा रहा हु
घर की सारी जिम्मेदारियां अपने कंधो पे उटा रहा हु
राशन से लेकर बिजली का बिल 
दवाई से लेकर मोबाइल का बिल
मुस्कुराके झेली वो हर एक मुश्किल 
लेकिन कभी सोचा नही था इतना आगे आ पाऊंगा।

-आपसे फिर मिलूंगा मेरे अगले ब्लॉग में।






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